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Verdict On Babri Masjid: What to Do?/बाबरी मस्जिद पर फैसला: क्या करें

Babri Masjid was built during 1528–29 (935 A.H.) on the orders of the Mughal emperor Babur. In 1949 idols of Rama were placed inside the Masjid for the first time and the Masjid was locked.

On 6 December 1992, the Masjid was demolished by Hindu extremists. And now the right and ownership has been given to Hindus by the court. What Muslims should do in current situation?

First: Muslims should fight for their rights by all peaceful means in the framework of law and order.

Second: leave aside your sectarian belongings, Barailavi, Deobandi, Salafi, Ahl e Hadith and be one under the divine name of Islam, even the lions are afraid of buffaloes when they are together and even the lions are weak when they are scattered and divided.

Third: Try to revive the Islamic faith in your family, kids, relatives, family, then in the society with the help of latest technology, like internet and social media. Try to listen to the informative Bayans and speeches on you tube.

Fourth: Try to build Masjids in the hearts and minds of new generation; do not leave them ignorant, uninformed or illiterate, prey to the atheism or apostasy.

Fifth: Seize the opportunities of education in your community, the real poor and weak is the uneducated in any society.

Sixth: The Islamic organizations and unions are requested to pay more attention to Muslim families and educating their kids than to win more converts from Hindus, because the first option is easier and more fruitful than converting others. Muslims all over the world are not less in numbers but they are weak in their awareness and education. The problem is in quality not in quantity so we should solve the first problem and try to improve the quality of Muslims.

Seventh: Try to help each other with financial, religious, spiritual support like, the Ansar and Muhajirin.

Eighth: Never argue with your Muslim brother on the issues disputed among the Muslim scholars. A lot of strength and ink already have been spent on them. Is it logical to argue on celebration of Milad Shareef while millions of your Muslim brothers and sisters do not know even the six articles of faith, and five pillars of Islam. Be wise and do not be like the monkey that harmed his owner’s nose when threw a stone on him to run away a fly on the nose.

Ninth: with the help of Allah the Almighty Babri Masjid would restored any many grand mosques would be built by your educated and enlightened new generation. But if the Muslim Ummah was left unattended then wait for the worst.

Tenth: The entire world has seen that Babri Masjid has been demolished and Ram-Mandir is planned to be constructed on its site. Many strong and grand dynasties have been gone forever, that no one imagined at their glorious time to happen. Remember the Mughal grandeur and British rule in India. Where are they now?   Hindu extremists are in the intoxication of power but very soon they will become a gone history even Hindus are not as strong as the Mughal and British rulers.

बाबरी मस्जिद पर फैसला: क्या करें

बाबरी मस्जिद का निर्माण मुग़ल बादशाह बाबर के आदेश पर १५२८–२९ (९३५ हिजरी) के दौरान हुआ । और पहली बार १९४९ में राम की मूर्तियों को मस्जिद के अंदर रखा गया और फिर मस्जिद को बंद कर दिया गया। ६ दिसंबर १९९२ में हिंदू चरमपंथियों के हाथों मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया। और अब न्यायालय द्वारा हिंदुओं को अधिकार और स्वामित्व भी दे दिया गया।

प्रश्न यह है कि मौजूदा स्थिति में मुसलमानों को क्या करना चाहिए? तो काम की बात सुनिए और उसपर अमल कीजिये।

पहला: मुसलमानों को कानून और व्यवस्था में रहते हुए सभी शांतिपूर्ण तरीकों से अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए।

दूसरा: अपने सांप्रदायिक विषयों जैसे, बरेलवी, देवबंदी, सलाफी, अहले हदीस वहाबी को बिल्कुल छोड़ दीजिए और इस्लाम के ईश्वरीय नाम और एक झंडे के तहत एक हो जाइए । आप अच्छी तरह जानते हैं कि शेर भैंसों से डर जाता है जब भैसें एक हो जाती हैं और शेर कमजोर पड़ कर भाग खड़ा होता है लेकिन जब भैसें विभाजित होते हैं तो एक ही शेर सबको एक एक करके फाड़ डालता है ।

तीसरा: अपने परिवार, बच्चों, रिश्तेदारों फिर समाज में इस्लामी आस्था को पुनर्जीवित करने का प्रयास कीजिए, नवीनतम तकनीक की मदद से, जैसे इंटरनेट और सोशल मीडिया अपने आपको शिक्षित कीजिए। यूट्यूब पर जानकारीपूर्ण बयान और भाषण सुनने की कोशिश  कीजिए जिस से आस्था ताज़ा हो जाए ।

चौथा: नई पीढ़ी के दिल और दिमाग में मस्जिद बनाइए और उनके भीतर मस्जिद का प्यार जगाने की कोशिश कीजिए; उन्हें अशिक्षित, या अनपढ़ हरगिज न छोड़िये, उन्हें नास्तिकता या धर्मत्याग का शिकार न होने दीजिए ।

पांचवां: अपने समुदाय में शिक्षा के अवसरों को काम में लाएं, वास्तविक गरीब और कमजोर किसी भी समाज में अशिक्षित व्यक्ति है।

छठा: इस्लामी संगठनों और यूनियनों से अनुरोध है कि वे मुस्लिम परिवारों पर अधिक ध्यान दें और पहले उनके बच्चों को बनाएं और संवारें और शिक्षित करने पर काम करें यह काम हिंदुओं को मुस्लमान करने से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि मुस्लमान पीढ़ी को पक्का मुस्लमान बनाना दूसरों को मुस्लमान करने की तुलना में आसान और अधिक फलदायी है । दुनिया भर में मुसलमान संख्या में कम नहीं हैं लेकिन वे अपनी जागरूकता और शिक्षा में कमजोर हैं । समस्या गुणवत्ता में है न कि मात्रा में इसलिए हमें पहली समस्या को हल करने में पहल करना चाहिए और मुसलमानों की गुणवत्ता में सुधार करने का प्रयास करना चाहिए।

सातवां: आपस में एक दुसरे का साथ दें और हाथ बटाएं, वित्तीय, धार्मिक, आध्यात्मिक समर्थन ऐसे ही देने का प्रयास करें जैसे अंसार और मुहाजिरिन एक-दूसरे की मदद करते थे ।

आठवां: उन मुद्दों पर जो मुस्लिम विद्वानों के बीच विवादित रहे हैं अपने मुस्लिम भाई के साथ कभी भी बहस न करें। पहले ही ऐसी बातों पर बहुत सारी ताकत और स्याही खर्च हो चुकी है अब और बहस तकरार की बिल्कल ज़रूरत नहीं है। क्या मिलाद शरीफ के जश्न पर आप अपने भाई से बहस करेंगे, जबकि आपके लाखों मुस्लिम भाईयों-बहनों को इस्लामी आस्था की बुनियादी बातों का ही पता नहीं है और इस्ला के पांच स्तंभों को भी नहीं जानते हैं। क्या ऐसा करना उचित है या कि आप पहले उनको बुनियादी बात सिखायेंगे और झगडालू बातों से दूर रखेंगे? बुद्धिमान बनें और उस बंदर की तरह न बनें जिसने अपने मालिक की नाक को ही पत्थर फेंक कर तोड़ दिया जब वह बंदर नाक पर से मक्खी को भगाना चाहता था और अपने मालिक को आराम देना चाहता था और मक्खी को मरने के लिए उस पर पत्थर फेंक दिया ।

नौवां: अल्लाह सर्वशक्तिमान की मदद से बाबरी मस्जिद एक न एक दिन बहाल हो कर रहेगी, और यकीन कीजिए कि आपकी शिक्षित और प्रबुद्ध नई पीढ़ी द्वारा कई भव्य मस्जिदों का निर्माण किया जाएगा । लेकिन अगर मुस्लिम उम्मा को जैसे तैसे छोड़ दिया गया, तो फिर इस से भी बुरे दिन का इंतजार करें।

दसवां: पूरी दुनिया ने देखा है कि बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया और राममंदिर को उसकी साइट पर बनाने की योजना है । कई मजबूत और भव्य राजवंश हमेशा के लिए चले गए, जबकि उनके समय में किसी ने सोचा भी नहीं था कि ऐसा होगा । अब, हिंदू चरमपंथी सत्ता के नशे में हैं, लेकिन बहुत जल्द वे एक इतिहास बन जाएंगे। मोगल और अँगरेज़ के अच्छे और ईतिहासिक काम तो आज भी देखे जा सकते हैं लेकिन इन आतंकियों का तो मारकाट और तोड़फोड़ को छोड़ कर कोई अच्छा काम दिखा दें ।

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